Friday, December 25, 2009

प्रतिरूप

प्रतिरूप
मनुष्य से तो वे पक्षी भले जो आंधी तूफ़ान हवा में तिनका तिनका ला कर घोसले बनाते हैं, उसमे अंडे देता है, उसको सेते है.
उसमे से जब चूजा निकलता है तो बड़े प्यार से दान ला कर चुगते है. उसे उड़ना सिखलाते है.
और वही चूजा जब बड़ा हो जाता है तो उसे छोड़ कर ऊड जाता है.
तो उस छोटे से विशाल ह्रदय पक्षी को तनिक भी मलाल नहीं होता की हाय वो चूजा उसका वो सेवा नही कर पाया. उसे तो अपने अथक परिश्रम
और असीम स्नेह का प्रतिदन नहीं प्रतिरूप चाहिए.